मेरे साथी:-

Monday, July 25, 2011

कीमत

जिन्दगी की कीमत उन्हे क्या मालुम जो सुरक्षा चक्र के बीच घुमा करते है,
रोजाना सर पर कफन बाँध कर घर से निकलने वाले एक आम जन से पुछो कि जिन्दगी क्या चीज है ।

पानी का कदर उन्हे क्या मालूम जो घरों में स्विमिंग पूल बनवा कर रखते हैं,
दिन भर खून जैसा पसीना बहाने वाले मजदूर से पुछो की पानी क्या चीज है ।

रिश्तों का मतलब उन्हे क्या मालूम जो अक्सर रिश्ते बनाते और बिखेरते हैं,
स्टेशन पे भीख माँगते एक अनाथ बच्चे से पुछो कि अपनापन क्या चीज है ।

Sunday, July 10, 2011

अवतार: नन्ही-सी देवी का


नन्ही-सी देवी ने अवतार धर लिया,
मेरे मन मष्तिस्क को निसार कर दिया;
खुशियों की आज मेरी न सीमा है कोई,
बगिया को आज मेरे गुलजार कर दिया ।

सबको हँसी की सौगात देन आई,
दिल को एक सुन्दर जज्बात देने आई;
आना उसका सुखद है हम सबके लिए,
रत्नों के संग्रह में आफताब देने आई ।

जीवन के मुकुट में आज रत्न जड़ गया,
चलते-चलते रास्ता एक सोपान चढ़ गया;
"दीप" करे आभार जिसने दिया ये उपहार,
मेरे हृदय का आकार थोड़ा और बढ़ गया ।

Wednesday, July 6, 2011

कि मैं साथ हूँ

न हो तू उदास
कि मैं साथ हूँ,
रहेंगी खुशियाँ पास
कि मैं साथ हूँ ।

करना मेरा विश्वास
कि मैं साथ हूँ,
न हो तू उदास
कि मैं साथ हूँ ।

गम का बादल तुझपे कभी छाने नहीं दुँगा,
कमल-सा ये चेहरा मुर्झाने नहीं दुँगा ।
मुस्कान आयेगी रास
कि मैं साथ हूँ,

न हो तू उदास
कि मैं साथ हूँ ।

साथ ले चलुँगा तुझे, कभी खोने नहीं दुँगा,
टूट भी जाऊँ मैं भले, तुझे रोने नहीं दुँगा ।
रखुँगा तेरा आस
कि मैं साथ हूँ,

न हो तू उदास
कि मैं साथ हूँ ।

एक भी स्वप्न आँखों का कभी टूटने नहीं दुँगा,
जिंदगी की दौड़ में पीछे छुटने नहीं दुँगा ।
रहोगे तुम खाश
कि मैं साथ हूँ,

न हो तू उदास
कि मैं साथ हूँ ।

Saturday, July 2, 2011

गूंजेगी मीठी किलकारियाँ

मेरे घर गूंजेगी अब मीठी किलकारियाँ,
वो रुदन और क्रंदन अब अकसर सुनाई देगा |

खुशियों की भेंट लेकर कोई तैयार है पड़ा,
देवी कदम रखेगी या कोई देवदूत दिखाई देगा |

बगिया में मनके पुष्प खिलने है वाला,
महक उसका जीवन को नयी ऊंचाई देगा |

कोई कह रहा बालक, कोई बालिका है कहता,
पर एहसास उसके आने का मन को तरुनाई देगा |

हर अपना मेरा बेसब्र हो बाट जोह रहा,
गोद में कोई नया जाने कब अंगडाई लेगा |

माता-पिता, भाई-बहन प्रफुल्लित है बड़े,
उसके लिए प्रतीक्षा भी दिल को मिठाई देगा |

आभार है उनको जो उसे लाने है वाली,
ममता के छाँव में उनके वो जम्हाई लेगा |

हर्षित “दीप” बार-बार कहता है रब से,
कुशल मंगल आगमन की ये हृदय दुहाई देगा |

Thursday, June 30, 2011

चवन्नी की विदाई

( मित्रो, सुना है आज से अधिकारिक तौर पे चवन्नी का अस्तित्व ख़त्म कर दिया जायेगा | इसी बात पे मैंने अपनी ये कविता लिखी है | कृपया अपनी राय रखें |)

जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है,
तुझको रुख्सत करने वाली और कोई नही महँगाई है ।

देश से तेरा वजूद आज मिटने को है आया,
तुझपे भी समय का ये कोप है छाया |

पहला सिक्का बनके अठन्नी आज इठलाई है,
जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है |

मोल तेरा आज यहाँ रहा नहीं कुछ,
महंगाई की भेंट चढ़ सहा बहुत कुछ |

दस पैसा कबका गया, आज तेरी बारी आई है,
जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है |

गरीबों और बच्चों की एक चाहत थी तुम,
दर-ब-दर भटकती, फिर भी राहत थी तुम |

कहने वाले कहते हैं, आर्थिक तरक्की आई है,
जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है |

इस कृतघ्न समाज से विदाई शायद खुशनशीबी है तुम्हारी,
तुझको इस कदर भूलना शायद बदनशीबी है हमारी |

तेरी हंसी आज इस देश में कुम्भलाई है,
जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है |

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-प्रदीप