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Monday, December 13, 2010

कॉलेज के वो चार दिन

आज कभी जब तन्हाई में आँखें बंद मैं करता हूँ;
याद तो बरबस आ जाते हैं कॉलेज के वो चार दिन|

आधी बनी सी वो बिल्डिंग,ठक-ठक करती वो आवाजें;
नये-नवेले वो अगणित चेहरे,बनती बिगड़ती जज्बाते|

पूरा सेमेस्टर मस्ती करना,लास्ट मोमेंट की रतजग्गी;
रिजल्ट के दिन वो छटपटाना,दिल में उठती अगलग्गी|

कॉलेज जाके बंकिग करना,केंटिन में वो गपबाजी;
ईंट्रो देना ईंट्रो लेना,कभी-कभी वो रँगबाजी|

ग्रुप बना के घुमना फिरना,ग्रुप में जाना परवाना;
आँख में आँसू ला देते हैं,कॉलेज के वो चार दिन|

कभी-कभी वो नारेबाजी,बात-बात पे वो हड़ताल;
कभी-कभी वो सिर फुटोव्वल,पुलिस वालों की वो पड़ताल|

कमरे में वो रात का जगना,ताश के पत्तों का बिखराव;
कम्प्यूटर के वो गेम का लत,एक दूजे का रख-रखाव|

फोन पे घन्टों बातें करना,सबकी करना टाँग खिंचाई;
हरपल को महका जातें हैं,कॉलेज के वो चार दिन|

ऑफ केम्पस के हसीन से सफर,फंक्शन का वो डाँस कराना;
चाय दुकान पे हो-हल्ला और रेस्त्राँ में बर्थ डे मनाना|

आज कहाँ अब किसको फुरसत और कहाँ अब अपनी किस्मत;
कॉलेज के वो लम्हें तो बस यादों में ही सिमटे हैं|

याद कर उनको आँख छलकती,दिल भी तो भर जाता है;
जेहन में हरवक्त जियेंगे,कॉलेज के वो चार दिन|

Saturday, September 4, 2010

मैं

दोस्तों की दोस्ती, यारों का यार भी हूँ,
दिल से चाहने वाले का प्यार भी हूँ,
हर शख्स, हर अक्स मेरी नज़रों में है,
आँखों की नमी, होठों की हंसी, और सपनों का चौकीदार भी हूँ |

इस जहाँ में करोड़ों में एक आशियाँ मेरा भी है,
सबके बीच इस जहाँ में एक जहाँ मेरा भी है;
मेरे भी कुछ सपने हैं, मेरे भी कुछ अपने हैं,
रंग बिरंगे गुलशन में एक गुलिश्तां मेरा भी है |

Thursday, September 2, 2010

अरे ओ यारों, थोडा समय तो निकालो

अरे ओ यारों, थोडा समय तो निकालो,
चार दिन की है अपनी ये जिंदगी,
दोस्तों को भी याद करो अरे ओ काम वालों,
अरे ओ यारों! थोडा समय तो निकालो |

व्यस्त हैं सब, इससे इनकार कब है,
काम का है बोझ, खुशियाँ साकार कब है,
व्यस्तता में से कुछ छन हंसी के निकालो,
अरे ओ यारों! थोडा समय तो निकालो |

अपनी अपनी जिंदगी में हर कोई है खोया,
दूसरों के दुःख में कोई एक आंसूं न रोया,
दो पल का साथ किसी और से निभालो,
अरे ओ यारों! थोडा समय तो निकालो |

दोस्तों की दोस्ती सब भूल ही गए,
काम के नशें में सब खो ही गए,
कमबख्तों!!दोस्ती की लाज थोड़ी-सी उठा लो,
अरे ओ यारों! थोडा समय तो निकालो |

Tuesday, September 16, 2008

एक इंजिनियर की आत्मकथा


(ये एक आम इंजिनियर के मन की उस समय की सोच है जब वो पुरी जिंदगी बिताने के बाद मरने के कगार पर होता है। वो एक मध्यम वर्गीय परिवार से होके भी एक इंजिनियर तो बन जाता है पर जिंदगी भर वो 'आम' ही रह जाता है। )

मैं एक इंजिनियर हूँ,
जिंदगी के हर एक क्षेत्र में, कभी जूनियर तो कभी सीनियर हूँ,
मैं एक इंजिनियर हूँ।

बचपन से लेके आज तक,
पढ़ाई से कभी रिश्ता न गया,
किताबों और कंप्यूटर में घुसा, कहने को मैं superior हूँ,
मैं एक इंजिनियर हूँ।

चार साल वो कॉलेज के,
मस्ती में ही उड़ते गए,
कंपनी दर कंपनी रगड़ता हुआ, मैं अजीब creature हूँ,
मैं एक इंजिनियर हूँ।

माँ-बाप के हरेक सपने,
पुरा किया पर साथ न रहा,
सब कुछ पाकर भी खोया हुआ, बहता हुआ मैं river हूँ,
मैं एक इंजिनियर हूँ।

प्यार दोस्ती भी खूब किया,
शादी-बच्चे भी संभाला है,
जिम्मेदारी से भागा नही, मैं ख़ुद अपना career हूँ,
मैं एक इंजिनियर हूँ।

पैसों की तो कमी न हुई,
पर परिवार संग रह न पाया,
भाग-दौड़ में भागता हुआ, चलता हुआ मैं timer हूँ,
मैं एक इंजिनियर हूँ।

हर एक रूप जिंदगी का,
देखा है मैंने करीब से,
हर कष्टों को झेला मैंने, हर प्रॉब्लम से मैं familiar हूँ,
मैं एक इंजिनियर हूँ।

बुढ़ा हुआ तब पीछे देखा,
हाथ में कुछ न साथ में कुछ,
भटक-भटक के रुक सा गया, पड़ा हुआ एक furniture हूँ,
मैं एक इंजिनियर हूँ.

मौत की घड़ी जब पास है आई,
पाने को कुछ न खोने को कुछ,
सबकी ही तरह रवाना होता, आसमान के मैं near हूँ,
मैं एक इंजिनियर हूँ.

Friday, June 20, 2008

ऐसे हैं हम

अश्कों को यूँ ही पी लेते हैं,
ज़ख्मों को ख़ुद ही सी लेते हैं,
भुलाकर हर गम को हम तो,
जिंदगी को शान से जी लेते हैं।

गम के मौसम में भी खुश हो लेते हैं,
खुशियाँ देते हैं, गर गम हम जो लेते हैं,
जब तेरी याद दिल में दस्तक देती है,
छुप-छुप के हम थोड़ा रो लेते हैं।

जीवन-ताल में जब गोटा लगा लेते हैं,
सीप के मोती का भी पता लगा लेते हैं,
ठान जब लेते हैं हम कुछ करने का
तो अंधेरे में भी सही निशाना लगा लेते हैं |

कांटे भी दामन में भर लेते हैं,
दोस्तों से भी कभी डर लेते हैं,
जिंदगी का पता जिंदगी से पूछ,
जिंदगी को हम खुश कर लेते हैं।

बन के बादल दिलों में छा लेते हैं,
दूसरो में अपनी मंजिल पा लेतेहैं,
फूलों को देख कर खुश होते हम,
जिंदगी को गीत बना गा लेते हैं।

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