मेरे साथी:-

Friday, January 25, 2013

कर तो लो आराम

रंजिश में ही बीत गई है तेरी तो हर शाम,
छुट्टी लेकर बैर भाव से, कर तो लो आराम |

आपा-धापी, भागम-भाग में,
ठोकर खाकर, गिर संभलकर,
कभी किसी की टांग खींचकर,
कभी गंदगी में भी चलकर |

यहाँ से वहाँ दौड़ के करते, उल्टे सीधे काम,
छुट्टी लेकर भाग-दौड़ से, कर तो लो आराम |

कभी किसी की की खुशामद,
कभी कहीं अकड़ कर बोले,
कभी कहीं पे की होशियारी,
कहीं-कहीं पे बन गए भोले |

बक-बक में ही गुजर गया, जीवन हुआ हराम,
छुट्टी लेकर शोर-गुल से, कर तो लो आराम |

वक्त बेवक्त अपनों की सोची,
सबके लिए बस लगे ही रहे,
झूठ-सच की करी कमाई,
पर पथ में तुम जमे ही रहे |

       अपनों के लिए पीते ही रहे, स्वाद स्वाद के जाम,
       कुछ वक्त खुद को भी देकर, कर तो लो आराम |

Tuesday, January 22, 2013

हे नेताजी ! प्रणाम करूँ

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
जन्म: 23 जनवरी 1887

नेताजी के जयंती पर अनेकानेक श्रद्धांजलि !!!
हे नेताजी ! प्रणाम करूँ,
तेरे आगे निज शीश धरूँ |

नहीं कोई भक्त माँ भारत का,
तुझ जैसा कभी हो पाया है;
लाल महान तुम इस धरती के,
कोई न तुझसा हो पाया है |

हे नेताजी ! प्रणाम करूँ,
तेरे आगे निज शीश धरूँ |

जिस आज़ादी के दम पर अब,
हम सब यूं इठला सकते हैं;
पाने को तुम लड़े जान से,
कभी न हम झुठला सकते हैं |

हे नेताजी ! प्रणाम करूँ,
तेरे आगे निज शीश धरूँ |

कहाँ तेरे सपनों का भारत,
अब तक हम बनवा पाये हैं;
एक देश हो, हो समानता,
कहाँ ऐसा करवा पाये हैं |

हे नेताजी ! प्रणाम करूँ,
तेरे आगे निज शीश धरूँ |

लेना होगा प्रण हम सबको,
आदर्शों पर चले तुम्हारे;
वही सच्ची श्रद्धांजलि तुमको,
कर्म हो श्रद्धा सुमन हमारे |

हे नेताजी ! प्रणाम करूँ,
तेरे आगे निज शीश धरूँ |

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